सत्य सनातन श्रेष्ठ है, सकल सृष्टि का सार।
गुरु चरणों में स्वर्ग है, वंदन बारम्बार।१।
जीवन दुर्गम जलधि सम, भ्रमित फिरें नर-नार।
गुरु किरपा ही कर सके, भवसागर से पार।२।
मानव माटी मान लो, गुरु जानो कुम्हार।
थाप-पीट औ तपन से, गढ़ता नव आकार।३।
गुरु की महिमा क्या कहूँ, गुरु से गुरुतर कोय।
गुरुवर के आशीष से, सुफल मनोरथ होय।४।
धन-मद में जो चूर हैं, सुनो पवन के बोल।
मात, पिता, गुरु तीन ये, जगती पर अनमोल।५।
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