प्रमाणिका छन्द
चलो चलें प्रकाश में।
नवीन दृश्य आश में।।
निशा प्रमाण खो गया।
नया विहान हो गया।।
लता खिली बहार से।
गुलों समेत प्यार से।।
प्रभो सुनो पुकार है।
यही सदा विचार है।।
न द्वेष हो कभी यहां।
न क्लेश हो कभी यहां।।
रहें सभी लगाव से।
बढ़े चले प्रभाव से।।
घनी भले निशा मिले।
निराश भाव ना खिले।।
प्रकाश पुंज संपदा।
दिया जला रहे सदा।।
✍ डॉ पवन मिश्र
शिल्प- लघु गुरु की चार आवृत्ति (1 2×4)
चलो चलें प्रकाश में।
नवीन दृश्य आश में।।
निशा प्रमाण खो गया।
नया विहान हो गया।।
लता खिली बहार से।
गुलों समेत प्यार से।।
प्रभो सुनो पुकार है।
यही सदा विचार है।।
न द्वेष हो कभी यहां।
न क्लेश हो कभी यहां।।
रहें सभी लगाव से।
बढ़े चले प्रभाव से।।
घनी भले निशा मिले।
निराश भाव ना खिले।।
प्रकाश पुंज संपदा।
दिया जला रहे सदा।।
✍ डॉ पवन मिश्र
शिल्प- लघु गुरु की चार आवृत्ति (1 2×4)
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